सेक्स, दुःख और प्रेम: आनंद की वास्तविकता

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प्रस्तावना यह किताब किसी विद्या, शास्त्र या धर्म का उपदेश नहीं है।यह जीवन की साधारण सच्चाई की पड़ताल है —वह सच्चाई जिसे हम सब जीते हैं,लेकिन कभी गहराई से देखते नहीं।लोग सेक्स को आनंद समझ बैठे हैं।लेकिन क्या सचमुच यह आनंद है?या यह केवल भीतर जमा हुए दुःख का निर्वहन है?लोग प्रेम को भी शरीर तक सीमित कर बैठे हैं।लेकिन प्रेम का असली स्वाद तो आत्मा से आता है —वह आनंद से भरा प्रसाद है,जो केवल आनंदित, प्रसन्न और पूर्ण व्यक्ति ही दे सकता है।यह किताब उसी भेद को खोलने का प्रयास है।सेक्स, दुःख और प्रेम: आनंद की वास्तविकता अध्याय 1. सेक्स