आकाशजैसे ही विमान चंडीगढ़ की रनवे पर उतरा, शाम की धुंध आसमान पर उतरने लगी थी। मैं अपनी सीट पर पीछे झुक गया और उस छोटे से गोल खिड़की से दूर दिख रही पहाड़ियों को देखने लगा। रोशनी ढल रही थी और उनके साये गहराते जा रहे थे। कुछ देर के लिए मन को शांत करने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा। सीने पर कई सवालों का बोझ था, और ज़्यादातर सवाल एक ही आदमी पर जाकर टिकते थे—रोनित।आख़िर वो क्यों छुप रहा था जब चंडीगढ़ के बीचोंबीच उसका आलीशान होटल चमक रहा था? और मुझे ही क्यों उसका पीछा