विषय नाज़ुक है और स्थिति जटिल….. पत्नी मेरी प्रेमपात्र है और पति मुझे अपना विश्वासपात्र बनाए चले जा रहा है….. “तुम्हारी मै'म ने आजकल घर को मुक्केबाज़ी का अखाड़ा बना रखा है…..” “और आप ने उसे घुड़दौड़ का मैदान!” नंदन वशिष्ठ की शिकायत को मैं हंसी में टाल देती हूं। “तुम्हारी मै'म कनक के साथ ऐसी नृशंस हैं कि क्या बताऊं?” “मै’ म के क्रोध को कनक स्वंंय न्योता देती है,” मैं पत्नी का पक्ष लेती हूं, “मै’ म उसे पढ़ाई की ऊंची देहरी पर देखना चाहती हैं और वह फ़ैशन की दुनिया में प्रवेश चाह रही है…..” एक