जाने कहां गए वो दिनसंध्या का समय था। सूर्य अपनी अंतिम किरणों को धरती पर बिखेर रहा था। हवा में हल्की ठंडक घुली हुई थी, और पीपल के पेड़ की पत्तियाँ सरसराहट कर रही थीं। गली के कोने पर खड़ा दीपक अपनी पुरानी यादों में खोया हुआ था। उसके हाथ में एक पुरानी चिट्ठी थी, जिसके अक्षर अब धुंधले पड़ चुके थे। चिट्ठी को देखते ही उसके मन में सवाल गूंजा—“जाने कहां गए वो दिन…?”दीपक अब पचपन साल का हो चुका था। जीवन के उतार-चढ़ाव ने उसे बहुत कुछ सिखा दिया था, पर दिल के किसी कोने में वह वही