ईश्वर के नाम पर जितनी कमाई हिन्दू धर्म में है किसी और धर्म में नहीं। ईश्वर का प्रतीक , मूर्ति आदि चीजों की हम पूजा करते है क्योंकि हमने अपने ईश्वर को अपने जैसा ही माना है तो फिर इतनी ज्यादा भद्दगी क्यों फैला रखी है धर्म के नाम पर ।शादी के कार्ड पर, धूप दीप हर पूजन सामग्री पर ईश्वर का चित्र प्रयोग होने के बाद कहीं कूड़ेदान में कहीं सड़क पर पैरों के नीचे पड़ा रहता है वहां कोई कद्र भी नहीं करता जब तक प्रतीक मंदिर में न हो घर में ना हो । तब सनातनी कहां