अंधेरे से इंसाफ तक - 4

भाग 4 – टूटा हुआ सवेरा बस अब धीरे-धीरे वीरान रास्ते पर रुक गई। रात के दो ढाई बज रहे थे। ठंडी हवा चल रही थी। दूर कहीं कुत्तों के भौंकने की आवाज़ें आ रही थीं।ड्राइवर ने रियर व्यू मिरर में देखा और बोला—“अब बहुत हुआ… इन्हें फेंक दो।”दरिंदों ने खून से लथपथ अभय और घायल अनाया को घसीटते हुए बस के बाहर ला पटका।“धड़ाम!”दोनों सड़क पर जा गिरे।अभय कराह रहा था, उसका चेहरा खून से लथपथ था। अनाया मुश्किल से साँस ले पा रही थी। उसके कपड़े फटे हुए थे और शरीर काँप रहा था।एक दरिंदे ने उन्हें लात मारते