भाग 3 – भयावह तूफ़ान बस अब पूरी तरह सुनसान सड़क पर दौड़ रही थी। खिड़कियों के बाहर अंधेरा पसरा हुआ था, कहीं-कहीं पर बिखरी रोशनी दिख जाती थी लेकिन वो भी इतनी फीकी कि मानो अंधेरे में गुम हो जाती हो। पेड़ों की परछाइयाँ बस की खिड़कियों से लहराती हुई गुजर रही थीं। अंदर का माहौल अब बेहद डरावना हो चुका था।अनाया के दिल की धड़कनें इतनी तेज़ थीं कि उसे खुद अपनी साँसें सुनाई दे रही थीं। उसने अभय का हाथ कसकर पकड़ लिया। उसकी आँखों में डर साफ झलक रहा था।“अभय… ये लोग ठीक नहीं लग रहे… मुझे