अंधेरे से इंसाफ तक - 2

भाग 2 – लौटती राह का सन्नाटाफिल्म हॉल से निकलते ही रात गहराने लगी थी। ठंडी हवा चेहरे से टकरा रही थी और सागरपुर की सड़कें धीरे-धीरे वीरान होती जा रही थीं। दिन में जहाँ इन गलियों में चहल-पहल रहती थी, वहीं अब यह इलाका एकदम शांत और सुनसान हो गया था।अनाया ने अपने दुपट्टे को कसकर गले में लपेटा और अभय से बोली—“रात काफ़ी हो गई है… जल्दी घर चलना चाहिए। माँ-पापा भी फ़ोन कर चुके होंगे।”अभय ने मुस्कुराते हुए उसकी ओर देखा—“हाँ, चलो। मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूँ। लेकिन इस वक्त ऑटो मिलना मुश्किल होगा।”दोनों सड़क किनारे