ग्रंथ रूपरेखा अध्याय 1: भूमिका और धार्मिकता की पुनः समीक्षाधर्म, पूजा और शास्त्र पर प्रश्न।पूजा का खोया अर्थ।जीवित सत्य से दूरी और मृत मूर्तियों की पूजा।अध्याय 2: ईश्वर और पंच तत्वपंच तत्व ही असली ईश्वर।प्रकृति से प्रेम ही पूजा।तत्वों में तेज, कोई भी गुण आत्मा से अलग नहीं।अध्याय 3: पूजा का वास्तविक अर्थ — प्रेम और विज्ञानपूजा = निष्काम प्रेम, न कि कर्मकांड।विज्ञान और अध्यात्म का संगम।प्रेम = ऊर्जा, पूजा = उसकी धारा।अध्याय 4: अंधविश्वास और ढोंगपरंपरा और आदेश से की गई पूजा = पाखंड।धर्म का व्यापार और राजनीति में बदलना।जीवित अवतार का विरोध, मृत प्रतीकों की पूजा।अध्याय 5: प्रेम