भाग 1 – अंधेरी सड़कों का सन्नाटासागरपुर नाम का शहर, जो न तो पूरी तरह गाँव था और न ही पूरी तरह महानगर। यहाँ न तो मेट्रो की गूंज थी और न ही ऊँची-ऊँची इमारतों की चकाचौंध। लेकिन यहाँ के लोग अपनी ज़िंदगी जीने के लिए संघर्ष ज़रूर करते थे। यही वह शहर था जहाँ हर सुबह दूधवाले की घंटी, मंदिर की घंटियों और बच्चों के स्कूल जाने की आहट से शुरू होती थी।शहर की तंग गलियों में एक छोटा-सा मकान था। सीमेंट और ईंट से बना साधारण घर, जिसके आँगन में तुलसी का पौधा और दीवारों पर समय-समय पर