मां की चुप्पीशाम का वक्त था। बाहर गली में बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे और घर के अंदर टीवी पर न्यूज़ चैनल की आवाज़ गूंज रही थी। 22 साल का आदित्य अपने कमरे में मोबाइल पर व्यस्त था। उसके हाथ तेज़ी से स्क्रीन पर चल रहे थे—कभी चैट, कभी सोशल मीडिया, कभी वीडियो। तभी दरवाज़ा धीरे से खुला।दरवाज़े पर उसकी मां, सविता देवी, खड़ी थीं। हाथ में चाय का कप था।“बेटा, चाय पी ले…” उन्होंने धीरे से कहा।आदित्य ने बिना ऊपर देखे कहा—“रख दो, मां, बाद में पी लूंगा।”मां ने उसकी तरफ देखा। आँखों में हल्की सी थकान और उम्मीद