पहला अध्याय:--- तमन्ना को कभी नहीं पता चला कि उसकी ज़िंदगी कब सुबह से शाम और शाम से रात में बदलती जाती है।गली के खेल, माँ की व्यस्तता और पिता की चुप्पी के बीच वो बस एक बच्ची थी—जिसके सपनों की उड़ान अक्सर हालात की दीवारों से टकरा जाती थी।लेकिन उस दिन, जब पहली बार उसके हाथों में घुंघरुओं वाली चप्पल आई… ज़िंदगी का रुख बदलने लगा। गाँव की तंग गलियों में धूल उड़ रही थी। नंगे पाँव बच्चे हँसी–ठिठोली करते दौड़ रहे थे। उन सबमें सबसे आगे थी तमन्ना—गरीब माँ–बाप की आख़िरी संतान। छोटी–सी काया, आँखों में शरारत, और चेहरा जैसे