Red Love - 4

  • 681
  • 1
  • 345

Chapter 4रात गहरी हो चुकी थी।आसमान पर बादल फैले हुए थे और बीच-बीच में तेज़ हवा के झोंके सूनी गलियों में सीटी बजाते निकल जाते। कभी-कभार दूर से कुत्तों के भौंकने की आवाज़ सुनाई देती।Bhai , जल्दी करिए, खाना खा लीजिए।” मैंने कहा।रवि ने थके हुए अंदाज़ में कुर्सी पर बैठते हुए कहा—“जाचु, आज मैं बहुत थक गया हूँ। लेकिन… सुना है, आज फिर कोई ग़ायब हो सकता है।”मैंने काँपती आवाज़ में पूछा—“आपको सच में लगता है कि कोई लोगों को ग़ायब कर रहा है? कौन है वो? कोई इंसान… या कुछ और?”रवि ने गहरी साँस छोड़ी।“कहना मुश्किल है। बहुत