गुनाहों की सजा - भाग 15

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अपनी ससुराल पहुँचकर माही ने रीतेश को वहाँ का पूरा किस्सा सुनाते हुए कहा कि उसने अपने पापा से बात कर ली है और उन्हें मना भी लिया है। माही के मुँह से यह सुनते ही रीतेश के लालची मन में ख़ुशी के पटाखे फूटने लगे। उसने बड़े ही प्यार से माही को अपनी बाँहों में भरते हुए कहा, "वेरी गुड माही, तुम्हारी मेरे दिल की रानी बनने की शुरुआत आज से ही हो गई है। बस कागजात ले आओ, फिर देखना तुम्हारी ज़िन्दगी ही बदल जाएगी।" रीतेश की बात सुनकर माही के दिल में उसके लिए पनपी हुई नफ़रत