इश्क़अधूरा _ एक और गुनाह का देवता - 2

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---एपिसोड ३ — “एक मुलाक़ात और मंज़ूरी”"कभी-कभी दो अनजाने लोग एक ही कमरे में बैठते हैं… और बिना ज़्यादा शब्द कहे, ज़िंदगी का सबसे बड़ा फ़ैसला कर लेते हैं।"---घर में हलचल थी, जैसे कोई त्योहार आ गया हो।निधि की माँ सुबह से ही बार-बार शीशे में देख रही थीं, कहीं बिंदी टेढ़ी तो नहीं, कहीं बाल उलझे तो नहीं। बुख़ार की हल्की-सी तपिश के बावजूद उनके चेहरे पर एक ही चिंता थी—"मेरी निधि की शादी मेरी आँखों के सामने हो जाए।"रूपा चाची लखनऊ से आई थीं। बातें करते-करते उन्होंने कहा था,"दीदी, अगर आप कहें तो एक लड़का है… सरकारी नौकरी