त्रिशूलगढ़: काल का अभिशाप - 8

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पिछली बार:अनिरुद्ध ने दर्पण तोड़कर अद्रिका को मुक्त कर लिया।उसने अपनी माँ और अपने वंश की सच्चाई की झलक पाई।लेकिन अब उसके सामने उसका सबसे बड़ा शत्रु खड़ा है — उसका ही अंधकारमय रूप।अंधकार का परिचयसन्नाटा इतना गहरा था कि सिर्फ हवा की सरसराहट सुनाई दे रही थी।अनिरुद्ध ने तलवार कसकर पकड़ी।उसके सामने खड़ा उसका दूसरा रूप — वही शक्ल, वही आँखें, बस उनमें दया नहीं, क्रूरता थी।वो मुस्कुराया, "तो तू ही वो है जिसे लोग वंशज कहते हैं? कितना हास्यास्पद है।तेरा डर… तेरी कमजोरी… यही तेरा असली चेहरा है। और मैं उसी चेहरे का सच हूँ।"अनिरुद्ध ने जवाब दिया,