---नागमणि – भाग 14 (अंतिम भाग)️ लेखक – विजय शर्मा एरी, अजनाला अमृतसरगुफा धीरे-धीरे काँप रही थी। चारों ओर अंधकार फैलता जा रहा था और केवल नागमणि की आभा ही उस अंधेरे को चीर रही थी। राघव, आर्या और भीम तीनों स्तब्ध खड़े थे। तभी आकाशवाणी-सी गूँज सुनाई दी –“राघव! तूने स्वार्थ त्यागकर धरोहर स्वीकार की है। किंतु नागमणि का वास्तविक अधिकारी वही होगा जो अंतिम परीक्षा में अपने हृदय की सच्चाई सिद्ध करे।”---अंतिम परीक्षा का प्रारंभगुफा की दीवारें खुलने लगीं और तीन रास्ते प्रकट हुए। प्रत्येक मार्ग अलग दिशा में जाता था। एक पर लिखा था – “त्याग”, दूसरे