Chapter 3कॉलेज का प्लेग्राउंड उस शाम कुछ और ही लग रहा था।हवा में नमी थी, और ज़मीन पर हल्की धूप और पेड़ों की लंबी-लंबी परछाइयाँ फैली थीं। आस-पास क्रिकेट खेलते लड़कों की चिल्लाहट, बेंच पर बैठे स्टूडेंट्स की हँसी… और बीच में मैं।यश मेरे बिल्कुल पास खड़ा था। इतना पास कि उसकी गर्म साँसें मेरी त्वचा से टकराकर अजीब-सा कंपन पैदा कर रही थीं।मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो रही थी—पर इससे पहले कि मैं कुछ कह पाती, अचानक मेरे कानों के पास एक गहरी, जानी-पहचानी आवाज़ गूँजी—“ये सब क्या हो रहा है?”मैंने पलटकर देखा।वो… मेरा बड़ा भाई, रवि था।यश