गंगा किनारे बसे एक छोटे से गाँव में राघव नाम का युवक रहता था। उसका जीवन बिल्कुल नदी की तरह था—कभी शांत, कभी उफान पर। बचपन से ही उसने बड़े सपने देखे थे। वह चाहता था कि एक दिन शहर जाकर ऊँची पढ़ाई करे और कुछ ऐसा करे जिससे उसका परिवार गर्व कर सके। लेकिन जीवन की धारा हमेशा वैसी नहीं बहती जैसी हम सोचते हैं।राघव के पिता किसान थे। खेती ही उनके घर का सहारा थी। शुरू के कुछ सालों तक सब ठीक चला, लेकिन समय का शत्रु रूप सामने आने में देर नहीं लगी। पहले पिता बीमार पड़े,