पंचमी व्रत कथा

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 पंचमी व्रत कथा:परिचयभाद्रपद मास की शुक्ल पंचमी को ऋषि पंचमी व्रत कहा जाता है। यह व्रत मुख्यतः महिलाएँ करती हैं। इसका महत्व पाप-निवारण और जीवन में शुद्धि प्राप्त करने हेतु माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि यदि स्त्री मासिक धर्म के समय भूलवश अज्ञानतावश कोई अशुद्ध कार्य कर बैठती है तो पंचमी व्रत करने से उन पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।---व्रत कथाप्राचीन समय में विदर्भ देश में एक ब्राह्मण रहते थे। उनकी पत्नी बड़ी धर्मपरायण और पतिव्रता थीं। उनके एक पुत्र और एक पुत्री थी। पुत्र का विवाह कर दिया गया