2050 – भविष्य की कहानी

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अध्याय 1 – नई सुबहसाल 2050 की पहली सुबह।दिल्ली अब वही पुरानी दिल्ली नहीं थी। चारों ओर पारदर्शी गुंबद बने थे जिनके अंदर मौसम को इंसान अपनी इच्छा से बदल सकता था। सड़कों पर अब गाड़ियाँ नहीं, बल्कि हवा में उड़ने वाले वाहन थे। लोग अपनी मंज़िल तक पहुँचने के लिए या तो उड़ने वाली टैक्सियों का इस्तेमाल करते, या फिर टेलीपोर्टेशन पॉड्स से चंद सेकंड में दुनिया के किसी भी हिस्से में पहुँच जाते।इन्हीं गुंबदों के बीच खड़ा था – आरव, 23 साल का एक नौजवान, जिसकी आँखों में अब भी वही जिज्ञासा थी जो पुराने जमाने के इंसानों