अंतर्निहित - 8

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[8]सारा ने द्वार बंद कर दिया, गवाक्ष को खोल दिया। एक मंद समीर ने भीतर प्रवेश कर लिया और सारा को स्पर्श करता हुआ कक्ष में ही विलीन हो गया। हवाका स्पर्श सारा को अच्छा लगा। गवाक्ष से बाहर के दृश्यों को देखने लगी। दूर एक छोटी पहाड़ी थी। वहाँ कहीं कहीं से झरने की भांति पानी नीचे की तरफ बह रहा था। उससे एक ध्वनि उत्पन्न हो रहा था। सारा उसे ध्यान से सुनने लगी। उसे वह परिचित लगा। ‘मेरे देश के झरनें भी यही ध्वनि सुनाते हैं। इसी प्रकार पहाड़ी से नीचे बहते हैं। ऐसा ही मनोहर दृश्य रचते