ललित - The Master of Thikri - 2

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 "कभी-कभी छोटी-छोटी घटनाएँ किसी बड़े तूफान की आहट होती हैं। इंसान समझता है कि वह हालात पर काबू पा रहा है, मगर किस्मत के खेल में मोहरे कब बदल जाएँ, यह कोई नहीं जानता। जो दूसरों के लिए जाल बुनता है, कभी-कभी वही खुद उसमें फँस जाता है।"◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆          फोन की लगातार बजती आवाज़ ने माहौल में एक अजीब सी घबराहट घोल दी थी। ऐसा लग रहा था मानो कोई अनहोनी दस्तक दे रही हो। ललित की उंगलियाँ काँप रही थीं, माथे पर पसीने की महीन बूंदें उभर आई थीं, और दिल की धड़कनें तेज़ हो गई थीं। फोन की घंटी