प्रश्नोत्तरी अध्यात्मिक

  • 414
  • 1
  • 111

प्रस्तावना मनुष्य का जीवन प्रश्नों से ही आरम्भ होता है। 1 पहला प्रश्न — “मैं कौन हूँ?” और अंतिम प्रश्न भी — “मैं कौन हूँ?” ही रह जाता है।बीच का जीवन केवल प्रश्नों और उत्तरों का पुल है। कभी प्रश्न गहरे होते हैं, कभी सतही। कभी उत्तर सच्चाई को छूते हैं, कभी केवल शब्दों का खेल होते हैं।प्रश्नोत्तरी ग्रंथ उसी यात्रा का साक्षी है। यह कोई धर्मशास्त्र नहीं, कोई नियमावली नहीं। यह तो खोजी के प्रश्न और उत्तरों की गूँज है — जहाँ प्रश्न आत्मा से उठे हैं और उत्तर भी मौन की कोख से निकले हैं।यह ग्रंथ यह