तुमसे ही

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उसने अपने कमरे का दरवाजा खोला ... अपनी कैप उतार कर टेबल पर रखी...और बिस्तर पर लेट गई.... उसने देखा तो सुबह के पांच बजे थे....थकान उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी... लगातार तीन दिन चली प्रेक्टिस ने उसे थका दिया था...नींद भी अच्छे से पूरी नहीं हो पाई थी उसकी... इसके बावजूद चेहरे पर शिकायत नहीं थी...शायद अपना काम बहुत खास था उसके लिए....इस तरह लेटे हुए वो नींद की आगोश में चली गई.... यूनिफॉर्म तक न उतरने पाई थी उसे.. सुबह के साढ़े ग्यारह  ही बजे होंगे की वो हड़बड़ा कर उठी.... इमरजेंसी अलार्म बजा था...और