"इश्क अधूरा – एक और गुनाह का देवता"शादी के बाद की पहली रात, जब सबने दरवाज़ा बंद किया,निधि का दिल तेज़ी से धड़क रहा था।वो कोई परियों की कहानी वाली दुल्हन नहीं थी,वो बस चाहती थी कि उसका पति उसे देखे —सिर्फ़ ज़िम्मेदारी की तरह नहीं,बल्कि उस स्त्री की तरह जिसे उसने चुना है।लेकिन उस रात भी शब्दों का अभाव था।उसके पति ने बस हल्की-सी मुस्कान दी,और धीरे से कहा — "सो जाओ, थक गई होगी।"निधि ने आँखें मूँद लीं,पर भीतर कुछ टूट गया था —वो इंतज़ार जो उसने वर्षों से किया था,वो छुअन, वो अपनापन… सब खामोशी में गुम