अभय से स्वामी अभयानंद तक…

अभय से स्वामी अभयानंद तक… (संसार, सन्यास और प्रेम)       स्वामी अभय आनंद         शुभकामनाएं       कभी-कभी हमारे व्यक्तिगत जीवन में ऐसा मुकाम आता है, जहां हम दो हिस्सों में बंट जाते हैं—एक वह, जो जीवन को खुलकर जीना चाहता है, और दूसरा वह, जो सामाजिक बंधनों और ज़िम्मेदारियों के साथ जीने को मजबूर होता है। लेकिन इस द्वंद्व में जीवन अधूरा सा लगने लगता है। यहीं से एक तीसरे मार्ग का जन्म होता है, जो भौतिकता से परे है और हमें संन्यास की ओर प्रेरित करता है। कभी-कभी ऐसा महसूस होता है