प्रस्तावनाकभी-कभी प्रेम को शब्दों से परिभाषित करना मुश्किल हो जाता है। शादी के बाद बहुत से रिश्ते केवल जिम्मेदारियों तक सीमित हो जाते हैं। लेकिन समीर और रागिनी की यात्रा इस बात का प्रमाण थी कि प्रेम केवल शरीर का नहीं, बल्कि आत्मा का भी मिलन है।---भाग 1 – मुलाक़ात और नई ज़िंदगीसमीर और रागिनी की शादी परिवार की मर्ज़ी से हुई थी। दोनों अच्छे घरों से थे, संस्कारवान और पढ़े-लिखे। शुरुआत में उनका रिश्ता एक नई दोस्ती जैसा था – शरमाया हुआ, संकोची और मासूम।रागिनी को किताबें पढ़ने का शौक था, और समीर को लिखने का। लेकिन नौकरी और