त्रिशूलगढ़: काल का अभिशाप - 6

पिछली बार:अनिरुद्ध ने संज्ञा वन में अपने भय को हराकर अग्निशक्ति जगाई थी। लेकिन तभी उसके सामने एक रहस्यमयी व्यक्ति प्रकट हुआ — जिसने दावा किया कि वही अनिरुद्ध का भविष्य है।अब आगे:जंगल के बीच लाल आँखों वाला वो व्यक्ति खड़ा था।हवा में अजीब सी गंध घुल गई थी जैसे कहीं गीली मिट्टी में खून टपका हो।मैं तेरा भविष्य हूँउसने कहा और उसकी आवाज़ गूँजते ही पेड़ों पर बने सारे चिन्ह जलने लगे।अनिरुद्ध ने तलवार और कसकर पकड़ी। अगर तुम मेरा भविष्य हो तो मुझे साबित करो।वो आदमी हँसा — एक ठंडी, डरावनी हँसी।सच तो ये है अनिरुद्ध भविष्य तुझे