बहुत समय पहले, देवताओं और असुरों में लगातार युद्ध होते रहते थे। देवता स्वर्गलोक के रक्षक थे, लेकिन असुरों की शक्ति दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी। उनमें सबसे भयंकर असुर था— महिषासुर।महिषासुर ने कठोर तपस्या करके भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न किया। उसकी साधना इतनी गहन थी कि वर्षों तक उसने भोजन-पानी तक का त्याग किया। जब ब्रह्मा जी प्रकट हुए तो उन्होंने कहा—“वत्स, वर मांगो। मैं तुम्हें प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान दूँगा।”महिषासुर ने चालाकी से कहा—“मुझे कोई भी देवता या राक्षस न मार सके। मेरी मृत्यु केवल किसी स्त्री के हाथों हो।”ब्रह्मा जी ने ‘तथास्तु’ कह दिया।महिषासुर जानता था कि