त्रिशा राजन से मिलने के बाद अपने मां के कहने पर सीधे अपने कमरें में आई और आराम से कुर्सी पर थक कर बैठ गई। अभी यह सब जो भी हो रहा था उससे वह मानसिक रुप से थकी थकी सी महसूस कर रही थी क्योंकि भले ही उसने कुछ ना कहा हो पर मन ही मन वह बहुत ज्यादा घबराई हुई थी, बहुत नर्वस थी। एक अजीब सा डर था उसके मन में। और अभी थोड़ी देर पहले जब वह राजन से मिली थी तो और भी ज्यादा नर्वस और डरी हुई थी। इसलिए वापस अपने कमरें आकर वह