राघव पहली बार अपने शहर से बाहर पढ़ाई करने जा रहा था। उसका एडमिशन एक नामी कॉलेज में हो गया था और परिवार को उससे बहुत उम्मीदें थीं। स्टेशन पर खड़े होकर जब उसने अपने माता-पिता को अलविदा कहा, तो उसके दिल में हल्की-सी घबराहट भी थी—“पता नहीं वहां दोस्त बनेंगे या नहीं? कोई अपना मिलेगा या नहीं?”पहले दिन जब वह कॉलेज के गेट से अंदर दाख़िल हुआ, तो सामने एक बिल्कुल अलग दुनिया थी। रंग-बिरंगे पोस्टर, भीड़भाड़, हंसी-ठिठोली करती टोलियां—सब कुछ बहुत नया और थोड़ा डराने वाला भी। क्लासरूम में सीट चुनते हुए उसने महसूस किया कि सब एक-दूसरे