गुब्बारे

यह कहानी केवल एक मेले के गुब्बारे बेचने वाले की नहीं है, बल्कि जीवन के गहरे सत्य को भी प्रकट करती है। मेले में खड़ा वह आदमी अपने छोटे से धंधे के सहारे जीवन चला रहा था। उसके पास तरह-तरह के रंग-बिरंगे गुब्बारे थे—लाल, नीले, पीले, हरे और कई अन्य। बच्चे जब इन गुब्बारों को देखते तो उनमें से एक पाने के लिए मचल उठते। लेकिन हर व्यवसाय की तरह उसकी बिक्री भी कभी तेज होती और कभी धीमी पड़ जाती। ऐसे समय में उसने एक खास तरकीब अपनाई थी। जब उसे लगता कि अब बच्चे उसके पास आना कम