आठ वर्ष पूर्व :-दूसरे दिन प्रात: ब्राह्म मुहूर्त से ही सेलेना की योग साधना प्रारंभ होनेवाली थी। सेलेना को रात्री भर निद्रा नहीं आई। कारण यह नहीं था कि पहाड़ पर सभी सुख सुविधा का अभाव था जिसकी वह अभ्यस्त थी किन्तु उस स्थान की अनुभूति ही कुछ विशेष थी और नए अध्याय की उत्तेजना भी। रात्री भर पहाड़ पर से व्योम को निहारती रही। चंद्र की गति, कुछ छूट पूट छोटे छोटे बादलों की क्रीडा, पहाड़ पर बिछी हुई श्वेत चंद्रिका, कभी भी न अनुभव की गई गहन शांति, शीतल मधुर वायु का मंद मंद स्पर्श, दूर दूर तक एकांत,