सोमन जब छोटा था ।तब से उसमें कई कला का आविर्भाव बहता था । सब उसका बखान कर थकता ।गांव की शेरी गलि मे सब जगह उसकी ही बोल बाला रहती ।स्कुल से आते ही मम्मी उसको खिलाकर अपने भावी का भाग्य बेटे में देखती ।और पिता का प्यार उस पर नेह बरसाता रहता । एक परिवार भावना सब जन मन में सभ्यता की मर्यादा सिखा रहे । संयुक्त परिवार सब उसके बारे में उससे पीछे धकेलने का प्रयास करते रहते ।एक दिन वह एकांत स्थल में जा कर अपने बारे में सोच ने लगे ," अरे मेरा तो कोई