प्रस्तावना (Introduction)संभोग (Sexual Union) केवल शारीरिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह मनुष्य के जीवन में प्रकृति द्वारा दिया गया एक अद्भुत वरदान है। यह प्रेम, आत्मीयता, भावनात्मक जुड़ाव और जीवन की निरंतरता का आधार है। भारतीय संस्कृति में इसे कभी वासना मात्र नहीं माना गया, बल्कि इसे ‘काम’ कहा गया है, जो जीवन के चार पुरुषार्थों (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) में से एक है।संभोग मनुष्य को न केवल शारीरिक सुख देता है, बल्कि यह मानसिक शांति, गहन प्रेम और आत्मिक संतोष का भी कारण बनता है। यही कारण है कि इसे सृष्टि चक्र को चलाने वाली शक्ति कहा गया है।---संभोग