त्रिशूलगढ़: काल का अभिशाप - 5

पिछली बार क्या हुआ था:अनिरुद्ध ने दूसरे द्वार को पार किया और संज्ञा वन में प्रवेश किया — एक ऐसा जंगल जहाँ विचार ही शत्रु बन जाते हैं। द्वार ने उसे उसके अतीत के दर्द से सामना करवाया था लेकिन अब असली परीक्षा शुरू होने वाली थीअब आगे:हवा भारी थी। जंगल के हर पेड़ पर अजीब चिन्ह बने थे जो हल्की हरी आभा छोड़ रहे थे।अनिरुद्ध चारों तरफ देख रहा था लेकिन यहाँ की खामोशी उसके भीतर डर भर रही थी।ये जगह सामान्य नहीं है उसने धीरे से कहा।जैसे ही उसने सोचा उसकी ही आवाज़ पेड़ों के बीच गूँज गई सामान्य