चंद्रवंशी - अध्याय 10

रोती हुई माही को संभालती सायना और आराध्या की आँखों में भी आँसू बह रहे थे। पंडित लालची और धूर्त ज़रूर था। लेकिन किसी की ऐसी मौत अगर एक ब्राह्मण का हृदय भी न पिघला सके, तो वह ब्राह्मण कहलाने योग्य नहीं। इसलिए कुछ देर वह भी दुखी हो गया। उसके मन में भी यह विचार आया कि, चाहे अनचाहे इस पाप में उसका भी हाथ है।ऐसे कठिन समय में माही अपना होश खो दे तो मुश्किल खड़ी हो सकती है। यह सोचकर आराध्या आगे बढ़ी और रोम को माही को समझाने को कहा।"नानकी मेरी छोटी बहन है, तेरा भाई