महाराणा सांगा - भाग 19

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मलिक अयाज की निराशासुलतान मुजफ्फरशाह को राणा साँगा और राजपूत सेना द्वारा गुजरात में चलाए गए विजय-अभियान की क्षण-प्रतिक्षण सूचना मिलती रही और वह अंगारों पर लोटता रहा। उसका कोई भी हाकिम राजपूत के सामने ठहर नहीं पाया था। गुजरात की संपन्नता बोरों में भरकर मेवाड़ ले जाई गई और उजडे़ हुए किले सुलतान को चिढ़ा रहे थे। उसने उसी क्षण संकल्प लिया कि वह चित्तौड़ की ऐसी ही दशा करेगा। उसने तैयारियाँ आरंभ कर दीं। अपनी सेना को संगठित किया और सभी सैनिकों को एक साल का अग्रिम वेतन दिया। उसकी इस विशाल सेना में एक लाख घुड़सवार, सौ