लोगों के कुत्ते, मेढक आदि टाइप के स्टाइल

अपने अपने स्टाइल लोक सभा हो या ऑफिस ,हॉस्पिटल या फैक्टरी ,इनमें  कई लोग या जनता के प्रतिनिधि होते हैं ,अपने अपने  स्टाइल से काम करते हैं या काम का दिखावा करते हैं,इनको देखिये,समझिये....पेश हैं इनके style या शैली    कौआ शैली..काम करो न करो,बॉस या जनता को बताओ कि काफी कर दिया,काँव काँव जरूर करो,नारे जरूर लगाओ,लोग पर्भावित होंगे ही होंगे,अगले चुनाव तक दल बदल लेना,ओह,यह तो आसान है इनके लिए ,प्रेस से दोस्ती भी ज़रूरी है इनके लिए ।      आंकड़े बाज़ी भी मुश्किल नहीं,दो चार ज़ीरो एक्स्ट्रा  लग गए तो क्या हुआ,जनता मूर्ख है और रहेगी। शतुर्मुर्ग ..काम नहीं,काम