राजकुमार पृथ्वीराज ने गंभीरी नदी के मैदान में हुए युद्ध में सूरजमल और सारंगदेव को प्राण बचाकर भागने पर विवश कर दिया। इसके बाद पृथ्वीराज जैसे हाथ धोकर ही उनके पीछे पड़ गए और वे दोनों जहाँ भी जाते, वह उनके पीछे पहुँच जाते और उन्हें खदेड़ देते। सूरजमल और सारंगदेव इतने भयभीत हो गए थे कि उन्होंने बाटरड़ा के वनों में शरण ली, परंतु पृथ्वीराज ने यहाँ भी उनका पीछा नहीं छोड़ा और यहाँ हुए युद्ध में सारंगदेव पृथ्वीराज के हाथों मारा गया। सूरजमल को वहाँ से भी प्राण बचाकर भागना पड़ा और वह अपनी पत्नी के घर जा