पृथ्वीराज के विवाह की अनुमति राव सुरतान को टोडा की विजय का शुभ समाचार मिला तो वह प्रसन्नता से झूम उठा। बदनोर में उत्सव मनाया जाने लगा। जिस टोडा में राव सुरतान के भाई श्याम सिंह का शासन रहा था, वह बहुत समय तक अफगानों के अधीन रहा था और अब जाकर स्वतंत्र हुआ था। राव सुरतान को इससे भी बड़ी प्रसन्नता इस बात को लेकर थी कि उसकी पुत्री को मेवाड़ राजघराने की पुत्रवधू बनने का अवसर प्राप्त हुआ। राव सुरतान उसी समय अपने विश्वस्त सरदारों के साथ चित्तौड़ चल पड़ा था। उसे एक तो मृतक जयमल के चरित्र पर