पृथ्वीराज को देश-निकालापृथ्वीराज अब राजकुमार नहीं रहे थे। उन्हें महाराणा ने चित्तौड़ की सीमा से बाहर निकल जाने का दंड दिया था। एकबारगी तो पृथ्वीराज सन्नाटे में आ गए, फिर विरोध करने की सोची, परंतु महाराणा के रक्तिम नेत्रों को देखकर वे साहस न जुटा पाए। ‘‘तेरे जैसे भ्रातृद्रोही षड्यंत्रकारी पुत्र की हमें कोई आवश्यकता नहीं। जिसके हृदय में परिवार के लिए प्रेम और राज्य के प्रति शुभेच्छा न हो, उस कुलघाती को चित्तौड़ की धरती पर बोझ बनकर हम नहीं रहने देंगे। यदि आज के बाद चित्तौड़ में तेरी सूरत दिखाई दी तो हम तुझे अपनी तलवार से मृत्युदंड देंगे।