महाराणा सांगा - भाग 5

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रानी रतनकँवर का संताप महाराणा रायमल ने अपने पैरों में पड़े जयमल को आश्चर्य से देखा, जो फूट-फूटकर रो रहा था। समीप ही गंभीरता की प्रतिमूर्ति बना खड़ा सूरजमल जैसे भरसक प्रयास से अपने आँसू रोक रहा था। ‘‘कुमार जयमल! क्या बात है, तुम...तुम इतने अधीर क्यों हो? कुमार सूरज, तुम अवश्य कुछ जानते होगे कि क्या हुआ है? तुम्हारे द्वारा ही हमें इस गुप्त कक्ष में बुलाया गया है।’’ महाराणा ने कहा। ‘‘महाराज, जब अपनों में घोर वैमनस्य हो जाए और उसकी परिणति राज्य के संकट के रूप में हो तो किसकी जिह्वा पर शब्द आ सकते हैं।’’ सूरजमल ने अपनी आलंकारिक