जीवन का रण

" जीवन का रण " — अरुणसुबह उठो, और रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अनगिनत दुश्मनों से लड़ो ।ये कोई साधारण दिन नहीं — ये एक युद्ध है ।सोचो…तुम उस युद्ध में हो जहाँ तुम्हारी सेना छोटी है,दुश्मन ताक़तवर , निर्दयी और निर्दय है ।हारने पर सिर्फ़ तुम्हारा राज्य ही नहीं —तुम्हारी उम्मीद , तुम्हारी आने वाली पीढ़ियाँ , और तुम्हारी प्रतिष्ठा भी दाँव पर है ।युद्ध तुम हार रहे हो ।चारों ओर तुम्हारे साथी सैनिक कट रहे हैं ।गला प्यास से सूखा है , और तुम अपना ही खून पीकर प्यास बुझा रहे हो ।अचानक , तुम्हारी आँखों के सामने