एहसास: एक कहानी

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एहसास: एक कहानीएक महसूस होती हुई उदासी थी, जो किसी दिन अचानक से दिल के एक कोने में ठहर गई थी। यह उदासी न तो बारिश की बूंदों जैसी थी, न ही सूरज ढलने जैसी। यह बस थी, एक खामोश, अनकहा एहसास। यह एहसास किसी नाम का मोहताज नहीं था, किसी रिश्ते का गुलाम नहीं था। यह बस खुद का था, एक ऐसा साया जिसे हर इंसान अपने भीतर महसूस करता है।यह उदासी कई रातों तक रही, किसी गहरे समंदर की तरह, जिसकी सतह शांत थी, लेकिन अंदर ही अंदर एक हलचल थी। जब चारों तरफ हँसी की गूँज होती,