भाग 5 – आख़िरी रात का खेलहवा में एक अजीब सी ठंडक घुली हुई थी। हवेली की दीवारों पर पुराने तेल के दीये टिमटिमा रहे थे, जिनकी लौ हर थोड़ी देर में कांप जाती, मानो कोई अदृश्य साया पास से गुज़र गया हो। मयंक और राधिका के चेहरे पर डर साफ़ झलक रहा था, लेकिन अब पीछे मुड़ने का कोई रास्ता नहीं था।"आज… आज सब खत्म कर देंगे," मयंक ने कांपती आवाज़ में कहा, "ये हवेली और इसके पीछे की सच्चाई, दोनों को।"राधिका ने उसकी आंखों में देखा — वहां डर भी था और दृढ़ता भी।"तुम्हें लगता है… हम बच