खामोश चेहरों के पीछे – पार्ट 4 (लास्ट पार्ट) सच का सामनारात का अंधेरा अब अपने चरम पर था। आसमान में बादल इतने घने थे कि चाँद की एक किरण भी जमीन तक नहीं पहुँच पा रही थी। हवा धीरे-धीरे तेज़ हो रही थी, और जैसे कहीं दूर से कोई सिसकियाँ सुनाई दे रही हों। राघव और प्रीति एक-दूसरे का हाथ मजबूती से थामे हुए थे। उनका दिल बेचैन था, लेकिन आँखों में एक नई उम्मीद भी थी।“प्रीति,” राघव ने धीरे से कहा, “अब वक्त आ गया है कि हम अपने डर का सामना करें। जो सच छुपा है, उसे