खामोश चेहरों के पीछे - भाग 3

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खामोश चेहरों के पीछे – पार्ट 3।  छुपा हुआ सचरात की स्याही इतनी गहरी थी कि चारों ओर घुप्प अंधेरा छाया हुआ था। हवा बिल्कुल थमी हुई थी, मानो कोई भी आवाज़ निकालने से डर रहा हो। चाँद की चमक बादलों के पीछे छिप गई थी, जिससे आकाश और भी डरावना लग रहा था। आँगन में रखी पुरानी लकड़ी की कुर्सी धीरे-धीरे हिल रही थी, मानो कोई उस पर बैठा हो। राघव एकदम स्थिर खड़ा था, उसके हाथ कांप रहे थे, लेकिन उसकी आँखें स्थिर थीं। उसकी निगाहें सामने खड़ी लड़की पर टिकी थीं — वही अंजलि, जो तीन साल