खामोश चेहरों के पीछे - भाग 2

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खामोश चेहरों के पीछे   भाग 2-   अतीत का दरवाजाराघव को उस रात नींद नहीं आई। दादी की पुरानी बातों में छुपे हुए इशारे अब उसकी सोच पर ताले की तरह लग गए थे। हर बार जब वह आँखें बंद करता, उसके कानों में वही शब्द गूंजते –"अतीत का दरवाज़ा एक बार खुल जाए, तो वापसी का रास्ता धुंधला हो जाता है..."सुबह होते ही वह खेतों के किनारे पुराने पीपल के पेड़ की ओर निकल पड़ा। गाँव में अफवाह थी कि इस पेड़ के नीचे कभी दौलतपुर के ठाकुर साहब का खजाना दबा हुआ था, लेकिन उससे भी डरावनी बात यह